आस्ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वार्न ने आईपीएल में राजस्थान रायल्स के लिये कुछ युवा खिलाड़ियों की फौज तैयार की थी। इनमें रविंद्र जडेजा भी शामिल थे जिन्हें अपनी काबिलियत पर इतना भरोसा था कि वार्न ने उन्हें ‘रॉकस्टार’ नाम दे दिया। अपनी योग्यता पर विश्वास का ही नतीजा था कि उन्हें बीच में आईपीएल से बाहर भी होना पड़ा लेकिन वे एक अपरिपक्व खिलाड़ी का शुरूआती दौर था जो जिंदगी में भी कुछ विषम पलों से गुजर चुका था। इस बीच जडेजा को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण का मौका भी मिल गया। जडेजा 2009 से भारतीय वनडे टीम का अहम हिस्सा रहे, लेकिन विश्व कप 2011 में युवराज सिंह की उपस्थिति के कारण उन्हें टीम में जगह नहीं मिल पायी थी।
श्रीलंका के खिलाफ अपने दूसरे वनडे में ही नाबाद 60 रन बनाने वाले जडेजा भले ही निरंतर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये लेकिन अपनी हरफनमौला काबिलियत के कारण वह टीम के लिये उपयोगी बने रहे। यदि वह बल्ले से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये तो उन्होंने गेंद से कमाल दिखाया। यही वजह थी कि चेन्नई सुपरकिंग्स ने जडेजा पर 20 लाख डालर खर्च कर दिये थे। रणजी ट्राफी में जडेजा ने लंबी पारियां खेलने की अपनी क्षमता का परिचय तीन तिहरे शतक लगाकर दिया। जडेजा को दिसंबर 2012 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का भी मौका मिल गया। बायें हाथ के स्पिनर के रूप में उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में बेहतरीन प्रदर्शन किया और 17.45 की औसत से 24 विकेट लिये। जडेजा ने इस दौरान स्पिन गेंदबाजी खेने में सक्षम माने जाने वाले माइकल क्लार्क को पांच बार पवेलियन की राह दिखायी। भारत ने यह सीरीज 4—0 से जीती थी।
इस बीच जडेजा ने वनडे में अपनी गेंदबाजी का कमाल दिखाया और आईसीसी एकदिवसीय रैंकिंग में नंबर एक गेंदबाज बने। वह अनिल कुंबले के बाद दूसरे भारतीय थे जो वनडे गेंदबाजी रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचे थे। जडेजा यदि फार्म में हों तो अपनी आलराउंड क्षमता के कारण किसी भी टीम के लिये उपयोगी साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने जडेजा के चोटिल होने के बावजूद उन्हें विश्व कप टीम में लेने का दांव खेला। अब जडेजा फिट हैं लेकिन विश्व कप से पहले उन्हें मैच फिट भी होना होगा। उनकी मौजूदगी में भारतीय बल्लेबाजी को मजबूती मिलेगी। उन्हें नंबर सात या आठ पर बल्लेबाजी के लिये उतरना है। इस नंबर के बल्लेबाज को तेजी से रन बनाने पड़ सकते हैं। उन्हें ऐसे में अच्छा फिनिशर बनना होगा। वह लंबे हिट लगाने में सक्षम हैं तथा आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बड़े मैदानों में भी बड़े शाट खेलने में उन्हें दिक्कत नहीं आनी चाहिए। गेंदबाजी में उनकी ‘फ्लाइट’ बल्लेबाजों को परेशानी में डाल सकती है।
इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्राफी में उनकी गेंदबाजी काफी कारगर साबित हुई थी। जडेजा ने तब पांच मैचों में 12 विकेट हासिल किये थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ ओवल में उन्होंने 36 रन देकर पांच विकेट लिये थे जो वनडे में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। सौराष्ट्र के इस 26 वर्षीय क्रिकेटर ने अब तक 111 वनडे मैच खेले हैं जिनमें उन्होंने33.92 की औसत और दस अर्धशतकों की मदद से 1696 रन बनाये हैं और 32.76 की औसत से 134 विकेट लिये हैं।