मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) देश में मौद्रिक नीति संबंधी फैसले करने वाली शीर्ष समिति है। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली यह समिति सितंबर 2017 में अस्तित्व में आई। यह रेपो व रिवर्स रेपो दर जैसी नीतिगत ब्याज दरों का फैसला करती है तथा मुद्रास्फीति लक्ष्य भी तय करती है। इसने अपनी पहली समीक्षा चार अक्तूबर 2017 को पेश की।
मौद्रिक नीति समिति में रिजर्व बैंक की ओर से गवर्नर, डिप्टी गवर्नर व कार्यकारी निदेशक सदस्य होते हैं। तीन सदस्य सरकार नियुक्त करती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए इस समिति की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि आरबीआई कानून 1934 में संशोधन किया जा रहा है ताकि मौद्रिक नीति संरचना एवं मौद्रिक नीति समिति को वित्त विधेयक 2016-17 के जरिए एक वैधानिक आधार मुहैया कराया जा सके।
इससे पहले तक नीतिगत ब्याज दरें आदि तय करने का अधिकार रिजर्व बैंक के गवर्नर को था। वह विभागीय मंत्रणा के बाद इनका निर्धारण करते थे। इस तरह की आखिरी मौद्रिक समीक्षा गवर्नर रघुराम राजन ने पेश की।
वित्त मंत्रालय के साथ खींचतान: आठ जून 2017 को मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारी समिति के सदस्यों से मिलना चाहते थे। लेकिन समिति ने मंत्रालय के इस निमंत्रण को ठुकरा दिया। दरअसल सरकार चाहती थी कि केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करे लेकिन बैंक ने अपनी समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया।