बंगाल की तरफ से जब 2010.11 सत्र में तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने अपने प्रथम श्रेणी करियर की शुरूआत की तो उन्हें लोग शमी अहमद के नाम से जानते थे। उन्होंने जल्द ही अपनी गेंदबाजी से प्रभावित करना शुरू कर दिया और इसके दो साल बाद उन्हें अपना पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिल गया। बंगाल के जूनागढ़ में नौ मार्च 1990 को जन्में शमी नयी और पुरानी दोनों तरह की गेंदोें को विकेट के दोनों तरफ मूव कराने में पारंगत हैं और इसलिए उन्हें विशेषकर डेथ ओवरों के लिये उपयोगी माने जाने लगा।
शमी ने भी कई अवसरों पर डेथ ओवरों में शानदार गेंदबाजी करके खुद को टीम के लिये उपयोगी गेंदबाजी साबित किया। ऐसे समय में जब भारतीय गेंदबाज डेथ ओवरों में ढेरों रन लुटा रहे थे, शमी ने अपने अच्छे प्रदर्शन से टीम में जगह पक्की कर दी। इसके अलावा वह लगातार140 किमी या इससे अधिक गति से गेंदबाजी करने में भी माहिर हैं। वह जब पूरी लय से गेंदबाजी करते हैं तो उनकी सटीकता देखने लायक होती है। ऐसे में वह न सिर्फ बल्लेबाजों पर अंकुश लगाये रखते हैं बल्कि उन पर दबाव भी बनाते हैं।
शमी ने अपना पहला एकदिवसीय मैच जनवरी 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ नयी दिल्ली में खेला था और किफायती गेंदबाजी करने के अपने कौशल का अच्छा नमूना पेश करके चार ओवर मेडन किये थे। उन्होंने 2012.13 रणजी सत्र में पांच मैचों में 28 विकेट चटकाये। दो मैचों में तो वह दस.दस विकेट लेने में भी सफल रहे जिसमें एक हैट्रिक भी शामिल है। इस प्रदर्शन के दम पर वह वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने घरेलू मैदान ईडन गार्डन्स पर टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने में सफल रहे। अपने इस पहले टेस्ट मैच में ही उन्होंने 118 रन देकर नौ विकेट लिये जो किसी भारतीय तेज गेंदबाज का पदार्पण पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। इसके बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने का मौका भी मिला। न्यूजीलैंड दौरे में उन्होंने पांच वनडे में 11 विकेट लिये। वह भारतीय टेस्ट और वनडे टीम के नियमित सदस्य बन गये।
इस बीच शमी ने अपनी बल्लेबाजी पर भी ध्यान केंद्रित किया क्योंकि वह जानते थे कि विशेषकर टीम में जगह पक्की करने के लिये उन्हें बल्लेबाजी में सुधार करना होगा। इंग्लैंड के खिलाफ नाटिंघम टेस्ट मैच में उन्होंने नाबाद 51 रन की पारी खेलकर अपने बल्लेबाजी कौशल का पहला नमूना पेश किया था। आस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड टेस्ट मैच में भी उन्होंने उपयोगी 34 रन बनाये।
उन्होंने टीम प्रबंधन के दिमाग में यह पक्का कर दिया है कि वह जरूरत पड़ने पर लप्पेबाजी कर सकते हैं। गेंदबाजी में हालांकि पिछले कुछ समय से वह अपनी गेंदों पर लगातार नियंत्रण रखने में नाकाम रहे हैं और इसलिए कुछ मैचों में बेहद महंगे साबित हुए। शमी को विश्व कप में सुनिश्चित करना होगा कि वह अपनी गेंदों पर अच्छा नियंत्रण रखें। बंगाल ने इस तेज गेंदबाज ने अब तक 40 वनडे मैचों में 70 विकेट लिये हैं लेकिन उन्होंने 5.67 रन प्रति ओवर की दर से रन लुटाये हैं।