असमिया सिनेमा के जाने माने निर्देशक झानु बरुआ की वर्ष 2005 में प्रदर्शित फिल्म मैंने गाँधी को नहीं मारा (maine gandhi ko nahin mara) एक बेहद मर्मस्पर्शी और विचारोतेजक फिल्म है. फिल्म में अनुपम खेर ने ” सारांश ” के बाद एक बार फिर से अपने अभिनय कैरियर का सवश्रेष्ठ अभिनय किया है.
फिल्म की कहानी एक सेवानिवृत कॉलेज व्याख्याता (अनुपम खेर) की है जो स्मृतिदोष से पीड़ित होने के कारण यह मानने लगता है की महात्मा गाँधी की हत्या उसने की है. फिल्म का स्क्रीनप्ले झानु बरुआ और संजय चौहान ने लिखा और संवाद संजय चौहान के थे.
फिल्म का निर्माण किया था स्वयं अनुपम खेर ने. फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में थे अनुपम खेर, उर्मिला मातोंडकर, प्रवीण डबास, रजित कपूर, प्रेम चोपड़ा, वहीदा रहमान, बोमन ईरानी, सुधीर जोशी, राजू खेर और विश्वास पांड्या. फिल्म में पार्श्वसंगीत बप्पी लहरी ने दिया.
” मैंने गाँधी को नहीं मारा ” बॉक्स ऑफिस पर सफल तो नहीं हुई पर अपनी विषय वस्तु के चलते समीक्षकों को बेहद पसंद आयी. अनुपम खेर और उर्मिला मातोंडकर के साथ साथ सभी मुख्य चरित्रों ने अपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय किया है. फिल्म में अपनी यादगार अदाकारी के चलते अनुपम खेर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में विशेष जूरी पुरस्कार प्राप्त हुआ.