मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना

The Prime Minister, Shri Narendra Modi unveiling the plaque to launch the 'Soil Health Card Scheme' logo and tagline "Swasth Dhara, Khet Hara", at Suratgarh, in Rajasthan on February 19, 2015. The Governor of Rajasthan, Shri Kalyan Singh, the Union Minister for Agriculture, Shri Radha Mohan Singh, the Chief Minister of Rajasthan, Smt. Vasundhara Raje Scindia, the Chief Minister of Punjab, Shri Parkash Singh Badal and other dignitaries are also seen.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (soil health card scheme) मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसी खेत विशेष की माटी यानी मृदा के पोषक तत्वों की स्थिति बताता है और उसकी उर्वरकता में सुधार के लिए जरूरी पोषक तत्वों की उचित मात्रा की सिफारिश किसानों को करता है। इससे किसानों को खेत की मिट्टी की प्रकृति की जानकारी भी मिलती है। किसान उसी के अनुसार खेत में उर्वरक और अन्य रसायन डाल सकता है ताकि लागत में कमी आए और उत्पादन बढ़े।

इस योजना  की शुरुआत 19 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरतगढ़, राजस्थान में की. इस योजना का उद्देश्य अगले तीन साल में 14 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना है. यानी हर किसान को एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड देना है.

इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा​ 2014 में वित्तमंत्री अरूण जेटली ने बजट भाषण में की थी. बजट में कार्ड जारी करने के लिए 100 करोड़ रुपए तथा 100 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए 56 करोड़ रुपए आवंटित किए गए.

दरअसल इस कार्ड में किसी खेत विशेष की मृदा का ब्यौरा होगा. कि उसमें कौन कौन से पोषक तत्व किस किस मात्रा में है और उसमें बोई गई फसलों को किस मात्रा में कौनसा उर्वरक दिया जाना चाहिए. योजना को शुरू करते हुए मोदी ने इस मृदा संरक्षण व उन्नयन की दिशा में बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा कि अगर किसान इसे अपना लेते हैं तो वे प्रति तीन एकड़ कम से कम 50 हजार रुपए बचा सकेंगे. उन्होंने कहा कि खेती बाड़ी का तरीका मृदा की गुणवत्ता पर निर्भर होना चाहिए.

मोदी ने कहा कि इस योजना का ध्येय वाक्य ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ है. इस योजना के तहत मिट्टी का परीक्षण कराया जाएगा और उसी के अनुसार आवश्यक वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाकर मृदा के पोषण तत्वों की कमियों को दूर किया जाएगा. स्वस्थ धरा होगी, तभी खेत हरा होगा. समय की मांग है कि हम धरती मां की चिंता करें तभी धरती मां हमारी चिंता करेगी. ‘सुजलाम, सुफलाम’ का सपना भी तभी पूरा होगा.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले तत्कालीन संप्रग सरकार ने मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रबंधन योजना शुरू की थी.

प्रदर्शन: योजना के पहले 2 वर्षीय चक्र (2015-17) में 31 मई 2017 तक 2.53 करोड़ लक्षित नमूने एकत्र किए गए और 93% नमूनों का परीक्षण किया गया। सरकारी जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत राज्य  सरकारों ने लगभग 14 करोड़ हेल्थ कार्ड बनाए जा रहे हैं जिसमें सरकार ने बताया कि पांच जुलाई 2017 तक 9 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए गए हैं।

Author: sangopang

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