मीना खलखो (meena khalkho) छत्तीसगढ़ की 17 साल की युवती थी जिसे पुलिस ने कथित रूप से एक मुठभेड़ में मार दिया. लेकिन ग्रामीण व महिला संगठनों के विरोध के बाद राज्य सरकार इस मामले की न्यायिक जांच करवानी पड़ी और लगभग चार साल बाद अप्रैल 2015 में इस मामले में 25 पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया.
यह घटना 6 जुलाई 2011 की है जबकि पुलिस ने दावा किया कि उसने सरगुजा के करचा गांव के पास माओवादियों के साथ कथित मुठभेड़ में मीना खलखो को मार गिराया. हालांकि पुलिस के इस दावे को झूठा बताते हुए ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मीना का माओवादियों से कोई लेना-देना नहीं था और पुलिस उसे घर से उठा कर ले गई और गोली मार दी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मीना को करीब से गोली मारी गई थी. इसके साथ ही मीना के साथ बलात्कार की भी आशंका जताई गई थी. कांग्रेस ने इस आशय के साक्ष्य भी विधानसभा में पेश किए. विपक्ष, ग्रामीणों व मानवाधिकार संगठनों के दबाव के चलते राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार ने 30 अगस्त 2011 को बिलासपुर की तत्कालीन जिला न्यायाधीश अनिता झा से जांच कराने की घोषणा की. हालांकि उनकी रपट बहुत बाद में आई. इस बीच सरकार ने मीना के परिजनों को दो लाख रुपए मुआवजा दिया और मीना के भाई को सरकारी नौकरी भी दी.
अपराध अन्वेषण विभाग यानी सीआईडी ने 16 अप्रैल 2015 को 25 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया. इनमें से 11 पुलिस वालों के खिलाफ हत्या जबकि 14 अन्य पुलिसकर्मियों पर हत्या में सहयोग का आरोप है. इसके साथ ही मामले की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक नेहा चंपावत की अगुवाई में पांच अधिकारियों का दल भी बनाया गया है.