चर्चित कवि मिथिलेश श्रीवास्तव (Mithilesh Srivastava) का जन्म 25 जनवरी 1958 को बिहार के गोपाल गंज जिले के हरपुरटेंगराही गांव में हुआ. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के सायंस कालेज से भौतिकी शास्त्र में आनर्स किया. वह लंबे अरसे से दिल्ली में सरकारी नौकरी में हैं. उनकी कविताएं लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र – पत्रिकाओं में छप चुकी हैं.
कविता लेखन के अलावा मिथिलेश की रूचि समकालीन रंगमंच, चित्रकला और समसामयिक विषयों पर लेखन में है. दैनिक हिन्दुस्तान और जनसत्ता में उन्होंने कला समीक्षक और रंगमंच समीक्षक के रूप में एक अरसे तक लिखा.
व्यवस्था के खौफ से जूझना, बाजारवाद से मुकाबला करना और अपने समय की विडंबनाओं को जाहिर करना मिथिलेश की कविताओं की पहचान है –
‘बचपन से सुनते आए हैं हम
पिता के पुरोहित से
पिता मरणासन्न होते और वह कहता लंबी है आपकी आयु रेखा
हम भूख से बिलबिलाते और वह कहता
पिता के हाथ से एक घर बनेगा
एक कुआँ खुदेगा
पचास के बाद सब कुछ बदल जाएगा
मेरी हथेली में कितनी साफ़ और सीधी रेखाएँ हैं
और कितनी उलझन मेरे जीवन में
एक उलझन यही कि कोई पुरोहित
नहीं मेरे जीवन में ‘
उनका पहला कविता-संग्रह ’किसी उम्मीद की तरह’ आधार प्रकाशन से है और उनका दूसरा संकलन ‘खौफ’ नाम से प्रकाशित होने को है. उन्हें हिन्दी अकादमी के ’युवा कवि’ पुरस्कार और दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘कविता मित्र सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें ‘दक्षेस लेखक सम्मान’ 2012 भी मिल चुका है. सूरीनाम और काठमांडू में उनका कविता पाठ हो चुका है.
मिथिलेश श्रीवास्तव लंबे अरसे से दिल्ली में ‘लिखावट’ संस्था भी चला रहे है. लिखावट में ख्यातिलब्ध कवि रघुवीर सहाय से लेकर विष्णु खरे और आज के तमाम युवा कवि तक कविता पाठ कर चुके हैं. इसके अलावे वे दिल्ली में ‘घर घर कविता’ , ‘कैंपस कविता’, ‘डायलाग’ आदि का भी आयोजन करते रहे हैं।