
केंद्र सरकार ने गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त गिरधर मालवीय के नेतृत्व में एक समिति जून 2016 में गठित की। इस समिति ने अपनी रपट 12 अप्रैल 2017 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती को सौंपी। मंत्री ने इस रिपोर्ट के अध्ययन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया। भारती ने रिपोर्ट स्वीकार करते इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया।
दरअसल सरकार ने यह समिति गंगा की पावन धारा को बचाने के उद्देश्य से कानून का मसौदा तैयार करने के लिए बनाई थी। समिति के सदस्यों में पूर्व सचिव वी. के. भसीन, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एके गोसाईं, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर नयन शर्मा और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के निदेशक संदीप रहे।
न्यायाधीश गिरधर मालवीय पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते हैं। वे गंगा महासभा के अध्यक्ष हैं और लंबे समय से गंगा संरक्षण अभियान से जुड़े रहे हैं। गंगा से उनका भावनात्मक लगाव है। गंगा महासभा की स्थापना करने वालों में मदन मोहन मालवीय थे।