भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 अगस्त 2015 को भुगतान बैंक (payment bank) के लिए 11 लाइसेंस जारी किए. इस तरह से केंद्रीय बैंक ने देश के बैंकिंग क्षेत्र में नयी पहल का दरवाजा खोला क्योंकि अब तक वह केवल सार्वभौमिक यानी सभी बैंकिंग सेवाएं देने वाले बैंकों के लिए ही लाइसेंस जारी करता रहा है. पहली बार उसने किसी विशिष्ट बैंकिंग गतिविधि के लिए अलग तरह के लाइसेंस दिए. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भुगतान बैंक के लिये लाइसेंस देने के रिजर्व बैंक के निर्णय को बड़ा कदम बताया और कहा कि इससे बैंकिंग प्रणाली में और अधिक धन आयेगा तथा ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार होगा.
इससे पहले बैंक को ये लाइसेंस पाने के लिए कुल 41 आवेदन मिले थे. इन आवेदनों की जांच के लिए नचिकेता मोर की अध्यक्षता वाली सलाहकार समिति गठित की गई. रिजर्व बैंक ने नवंबर 2014 में भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक के लिए अंतिम दिशानिर्देश जारी किए थे.
क्या है भुगतान बैंक: भुगतान बैंक बैंकिंग परिचालन की एक विशिष्ट इकाई है. यानी यह परंपरागत बैंकों की तरह सभी तरह की सेवाएं नहीं देती. इस तरह की बैंकिंग इकाई मुख्य रूप से भुगतान सेवाएं उपलब्ध कराती है. जैसे कि भारत में भुगतान बैंक को एक लाख रुपये तक की जमा स्वीकार करने की अनुमति होगी, लेकिन वे ग्राहकों को किसी तरह का कर्ज नहीं दे सकेंगे और अपना पैसा केवल सरकारी प्रतिभूतियों और बैंक जमाओं में ही लगाएंगे. इस तरह सीमित परिचालन व शर्तें ही उन्हें पारंपरिक बैंकों से अलग करती है.
ये बैंक मूल रूप से बुनियादी बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराएंगे. यानी इन बैंकों का इस्तेमाल पैसे जमा कराने व निकालने के लिए किया जा सकता है. यानी वे कर्ज या क्रेडिट कार्ड जारी नहीं करेंगे. जिन ग्राहकों के पास बचत बैंक खाता है वे विभिन्न तरह के बिलों के भुगतान आदि के लिए इन भुगतान बैंकों का इस्तेमाल कर सकेंगे.
भारतीय रिजर्व बैंक से पहली खेप में, अगस्त 2015 में लाइसेंस पाने वाली कंपनियों ने नेशनल सिक्युरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड, वोडाफोन एम पैसा, एयरटेल एम कामर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, डाक विभाग, आदित्य बिड़ला नूवो, मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम, सन फार्मा के प्रवर्तक दिलीप सांघवी, टेक महिंद्रा, भुगतान तकनीक प्रदाता फाइन पेटैक और चोलामंडलम डिस्ट्रिब्यूशन सर्विसेज है. सफल कंपनियों को को 100 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ 18 माह में परिचालन शुरू करना होगा. चुकता पूंजी में प्रवर्तकों का न्यूनतम योगदान शुरू के पांच साल के लिए कम से कम 40 फीसदी होगा.
भुगतान बैंक मुख्य बातें:
- भुगतान बैंक का पूंजी आधार 100 करोड़ रुपए का होगा.
- भुगतान बैंक को सिर्फ भुगतान करने का अधिकार होगा.
- भुगतान बैंकों में शुरू में प्रति ग्राहक अधिकतम एक लाख रुपये तक की ही जमा रखने की अनुमति होगी.
- भुगतान बैंक एटीएम-डेबिट कार्ड तथा अन्य पूर्व जमा वाले भुगतान कार्ड आदि जारी कर सकेंगे लेकिन ये बैंक क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकेंगे.
- ये बैंक बिना-जोखिम वाले साधारण वित्तीय उत्पाद जैसे म्यूचुअल फंड और बीमा उत्पादों के वितरण का काम भी कर सकते हैं.
- भुगतान बैंक कर्ज सेवाएं नहीं दे सकेंगे और इनमें प्रवासी भारतीयों को भी खाता खोलने की अनुमति नहीं होगी।
- इनके जरिए एक जगह से दूसरी जगह पैसे का भुगतान किया जा सकेगा. ये अपने प्रतिनिधियों, एटीएम व शाखाओं से नकदी का भुगतान करने का काम करेंगे.
- इन्हें इंटरनेट के जरिये भुगतान सुविधा देने की भी छूट होगी. ये किसी दूसरे वाणिज्यिक बैंक के प्रतिनिधि भुगतान बैंक बनने का भी काम कर सकते हैं. लेकिन इन्हें किसी भी ग्राहक के खाते में एक लाख रुपये तक की राशि ही रखने की आजादी होगी.