जलाशयों की सरकारी परिभाषा की बात की जाए तो इसमें सभी प्रमुख बांध, तालाब, ताल, कुंड, सागर आते हैं। जैसे सहस्रलिंग तालाब गुजरात, भोजताल मध्य प्रदेश, मोती झील कानपुर, रूकमणि कुंड हिमाचल प्रदेश शामिल हैं।
सरकारी परिभाषा के अनुसार देश में प्रमुख जलाशय (major reservoirs) 91 हैं।
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 अरब घन मीटर (बीसीएम) है जो समग्र रूप से देश की कुल अनुमानित जल संग्रहण क्षमता 253.388 अरब घनमीटर (बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।
जलाशयों या जल संग्रहण के हिसाब से देश को पांच भागों में बांटा गया है।
उत्तरी क्षेत्र: उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 अरब घन मीटर की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की निगरानी में हैं।
पूर्वी क्षेत्र: पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 अरब घनमीटर की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं।
पश्चिमी क्षेत्र: पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 अरब घनमीटर की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं।
मध्य क्षेत्र: मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 अरब घन मीटर की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं।
दक्षिणी क्षेत्र: दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 अरब घन मीटर की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं।