बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश या एफडीआई की सीमा को 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत करने संबंधी बीमा विधेयक को 12 मार्च 2015 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. यह विधेयक कई साल से लंबित था और इसके पारित होने से बीमा क्षेत्र में सुधारों का रास्ता साफ हो गया यानी विदेशी कंपनियां अब यहां और अधिक पैसा लगा सकेंगी.
इस विधेयक के कानून बनने का मतलब है कि कोई विदेशी बीमा कंपनी घरेलू बीमा कंपनी में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीद सकेगी. यानी इतने हिस्से का पैसा लगा सकेगी.
यह विधेयक पिछले दिनों लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगा. लोकसभा ने बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2015 पहले ही पारित कर दिया था.
समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, द्रमुक व बसपा ने वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया.
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक को लेकर दुनिया भर की बीमा कंपनियों की भारत पर निगाह थी क्येांकि भारत दुनिया के बड़े बीमा बाजारों में से एक है. देश में 52 बीमा कंपनियां हैं लेकिन पूरी आबादी की 25 फीसदी आबादी के पास ही सामान्य बीमा कवरेज है.