बजट को लेकर पहले जैसी उत्सुकता अब भले ही नहीं रहती हो लेकिन आज भी यह सरकार के सबसे महत्वपूर्ण काम में से एक है. यह सरकार की एक साल की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखा जोखा होता है. हमारे देश का वित्त वर्ष फिलहाल हर साल एक अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक होता है और आमतौर बजट फरवरी के आखिरी दिन संसद में पेश किया जाता है. केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा पेश किया जाता है.
विशेष परिस्थितियों में सरकारी खर्च की व्यवस्था के लिये लेखानुदान मांगे अथवा अंतरिम बजट भी पारित कराया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 112 में हर साल बजट पेश करने का प्रावधान किया गया है. सरकार को अपने हर तरह के खर्च के लिये संसद से मंजूरी लेनी होती है. बजट जितना आसान शब्द है इसके निर्माण की प्रक्रिया उतनी ही जटिल है. संसद में इस पर अधिकतम 26 दिन विचार विमर्श होता है.
भाषण – इसके दो भाग होते हैं. एक भाग में सामान्य आर्थिक परिदृश्य तथा दूसरे भाग में कर तथा सरकार की आर्थिक नीतियों का विवरण होता है.
प्राप्तियां- इसमें घरेलू तथा विदेशी ऋण के साथ साथ अगले वित्त वर्ष में सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व और पूंजी प्राप्तियों का विवरण होता है.
बजट व्यय- प्रस्तावित वित्त वर्ष में अलग अलग मंत्रालयों और विभागों द्वारा आयोजनागत तथा गैर आयोजनागत मदों में खर्च की जाने वाली राशि और सरकारी खर्च का विवरण.
अनुदान मांगें – इसमें हर तरह की अनुदान मांगों को इस खंड में रखा जाता है. मंत्रालयों की निजी की मांगें भी इसी खंड में आती हैं.
सालाना वित्तीय कथन- अगले वित्त वर्ष के लिये अनुमानित सरकारी आमदनी और खर्च पर टिप्पणियां.
बजट का सार- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त होने वाली तथा उन्हें दी जाने वाली राशि के विवरण के साथ यह आंकडों और ग्राफ सहित बज ट का पूरा सार होता है.
वित्त विधेयक – इसमें सरकार के कर प्रस्तावों का विवरण होता है.