परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) को भारतीय सीमा आयोग भी कहते हैं. संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत सरकार हर एक दशक बाद परिसीमन आयोग का गठन करती है. यह हाल ही की जनसंख्या के आधार पर विभिन्न विधानसभा व लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण करता है. हालांकि किसी भी राज्य से प्रतिनिधियों की संख्या नहीं बदलती है लेकिन जनसंख्या के हिसाब से अनुसूचित जाति जनजाति सीटों की संख्या बदल जाती है.
एक बात और, आयोग की शक्तिशाली निकाय है जिसके आदेश को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती.
परिसीमन आयोग का गठन क्रमश: 1951,1961,1971 व इसके बाद 2002 में हुआ. चौथा परिसीमन आयोग न्यायाधीश कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में बना था.
परिभाषा के रूप में परिसीमन का मतलब किसी देश या प्रांत में निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का पुनर्निर्धारण है.