कश्मीरी वाद्य यन्त्र संतूर को लोकप्रिय बनाने के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध पंडित भजन सोपोरी (भजन रुस्तम सोपोरी) को जाना जाता है. भजन सोपोरी का जन्म कश्मीर के सूफियाना घराने में हुआ था. इनके पिता का नाम शम्भूनाथ सोपोरी था. इन्होंने संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा अपने दादा एस सी सोपोरी से ली. भजन सोपोरी विविधता से भरे कलाकार और संगीतकार ही नहीं हैं बल्कि इनको संगीत के वैज्ञानिक, शिक्षक, लेखक और कवि के रूप में भी जाना जाता है.
भजन सोपोरी ने दो विषयों में परास्नातक, सितार और संतूर में विशेषज्ञता के साथ इन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सेंट लुइस, मिसूरी, संयुक्त राज्य अमेरिका में पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन भी किया है.
वह 1950 के दशक के शुरू से यह भारतीय शास्त्रीय संगीत में संतूर को लेकर प्रयोग करते आ रहे है. शास्त्रीय संगीत में राग लालेश्वरी, राग पटवानी और राग निर्मलरंजनी इनकी देन है. संतूर बजने में दक्षता के कारण इनको ” स्ट्रिंग्स का राजा “भी कहा जाता है. इन्होंने अनेक वृत्तचित्र, धारावाहिक, ओपेरा, भजन आदि के लिए संगीत रचना की है तथा सभी भारतीय भाषाओं में लगभग 5000 गानों के लिए संगीत रचना की है.
संगीत में विशेष योगदान के लिए इनको पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, जम्मू और कश्मीर राज्य पुरस्कार, राष्ट्रीय डोगरी पुरस्कार, आकाशवाणी वार्षिक पुरस्कार, राष्ट्रीय शिरोमणि पुरस्कार, पंजाब सखा पुरस्कार, कला योगी पुरस्कार,अभिनव कला पुरस्कार, श्री भट्ट कीर्ति पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले हैं.