सूरज ढलने से पहले अस्त होना और रो लेना आंखें सूखने से पहले, बादलों से पहले बरस जाना, बह जाना हवा के आगे आगे.. बीजों सा बिखर जाना और उग आना पहले पौधों से, मरने से पहले जी लेना और मर जाना जीने से पहले .. जीवन की किसी दुपहरी में बड़ के नीचे बड़े बाबा ने इक कमबख्त को यह सीख दी थी. जो बाद वक्त किसी सर्च इंजिन में इसके मायने नहीं खोज पाया तो जोगी हो गया.
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