सार्वजनिक क्षेत्र में पूंजी या प्रबंधन या दोनों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना या उन्हें निजी क्षेत्र को सौंप देना निजीकरण (privatization) कहलाता है.
आमतौर पर यही तर्क दिया जाता है कि यह काम कंपनियों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढाने के लिए किया जाता है. वैश्विक स्तर पर उदारीकरण, वैश्वीकरण व निजीकरण बीते कुछ दशकों में खूब चर्चा में रहे हैं.
निजीकरण के तहत किसी भी सार्वजनिक कंपनी या उपक्रम में सरकारी हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेच दी जाती है. यानी उन्हें निजी हाथों में सौंप दिया जाता है. हमारे देश में तो इसके लिए विशेष रूप से विनिवेश मंत्रालय भी बना था. निजीकरण को लेकर मतभेद रहा है और श्रमिक संगठन इसका विरोध करते रहे हैं.