गर्भस्थ बच्चे को एक नाल गर्भाश्य से जोड़ती है ताकि उसे पोषक तत्व मिलते रहें. भ्रूण व गर्भाश्य को जोड़ने में प्लेसेंटा की बड़ी भूमिका होती है.
प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से चिपका अस्थाई अंग होता है और नाल के ज़रिए भ्रूण से जुड़ा रहता है. गर्भस्थ शिशु को प्लेसेंटा के ज़रिए ही पोषक तत्व मिलते हैं. शिशु के जन्म के कुछ देर बाद प्लेसेंटा भी बाहर आ जाता है. तब इसे बच्चे से जोड़ने वाली नाल को काट दिया जाता है क्योंकि अब शिशु स्वयं सांस ले सकता है. रक्तस्राव न हो इसके लिए नाल को बांध दिया जाता है.
पुराने दिनों में दाइयां या बढी बुजुर्ग औरतें इस नाळ को घर के किसी अंदरूनी हिस्से में जमीन में दबा देती थीं.