तीन जिम्मेदारियों में खरा उतरना होगा ‘कमांडर’ महेंद्र सिंह धौनी को

आज से ठीक दस साल पहले 23 दिसंबर 2003 को देश के दो नये नवेले राज्यों उत्तराखंड और झारखंड से ताल्लुकात रखने वाला एक युवा खिलाड़ी बांग्लादेश के चटगांव में पहली बार भारत की तरफ से खेलने के लिये उतरा और पहली गेंद पर ही आउट होकर पवेलियन लौट गया। बात आयी गयी हो गयी। नया खिलाड़ी है। कौन तवज्जो देता है।

लेकिन यह खिलाड़ी यानि महेंद्र सिंह धौनी हार मानने वाला नहीं था। चार महीने के अंदर देश ही नहीं विदेशी क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर भी उनका नाम चढ़ गया। दिन था पांच अप्रैल 2005 और स्थान था विशाखापट्टनम। भारत और पाकिस्तान आमने सामने थे। धौनी क्रीज पर उतरते हैं और फिर पाकिस्तानी गेंदबाजों को धुन डालते हैं। इस बल्लेबाजी कौशल में ताकत का मिश्रण था। बल्ला बिजली की गति से घूमता और गेंद करारा प्रहार झेलकर बाउंड्री ढूंढने लग जाती। कुल 123 गेंदों पर 148 रन धौनी के बल्ले से निकले जिसमें 15 चौके और पांच छक्के शामिल थे।

भारत को ऐसे ही विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश थी और धौनी ने भी इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। जयपुर में 31 अक्तूबर 2005 को श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने जो 183 रन की पारी खेली थी वह आज भी किसी विकेटकीपर का वनडे में सर्वोच्च स्कोर है। उन्हें पहली बार 2007 में दक्षिण अफ्रीका में खेली गयी पहली विश्व टी20 चैंपियनशिप में टीम की कमान सौंपी गयी। भारत उस टूर्नामेंट में चैंपियन बना।

इसके एक साल बाद धौनी तीनों प्रारूपों में भारत के कप्तान बन गये और यह कहा जा सकता है कि तब भारतीय क्रिकेट उनके इशारों पर नाचने लगा। इस बीच उन्होंने अच्छे परिणाम भी दिये। भारत को वनडे और टेस्ट क्रिकेट में दुनिया की नंबर एक टीम बनवाया और 2011 में उनकी अगुवाई में भारत 28 साल बाद फिर से विश्व कप जीतने में सफल रहा। इसके दो साल बाद धौनी दुनिया के पहले ऐसे कप्तान बन गये जिनकी अगुवाई में टीम ने टी20 विश्व चैंपियनशिप, वनडे विश्व कप और चैंपियन्स ट्राफी जीती। वह आज भारत के सबसे सफल कप्तान हैं।

धौनी अब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। निश्चित रूप से उन्होंने यह फैसला सीमित ओवरों की क्रिकेट में अधिक ध्यान देने के लिये किया। उनकी असली परीक्षा हालांकि विश्व कप में होगी जहां उनके पास ऐसी टीम है जिसके खिलाड़ी प्रतिभाशाली तो हैं लेकिन उनमें अनुभव की कमी है। धौनी को फिर से अपनी तीन भूमिकाओं कप्तान, विकेटकीपर और बल्लेबाज के रूप में खरा उतरना होगा। उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में से एक माना जाता है और निचले क्रम में बल्लेबाजी का दारोमदार उन पर ही रहेगा।

धौनी ने अब तक 254 वनडे मैचों में 52.29 की औसत से 8262 रन बनाये हैं, जिसमें नौ शतक और 56 अर्धशतक शामिल हैं। उनके नाम पर विकेटकीपर के रूप में 229 कैच और 85 स्टंप शामिल हैं। इससे पहले धौनी 2007 और 2011 विश्व कप में भाग ले चुके हैं जिनके 12 मैचों में उन्होंने 33.75 की औसत से 270 रन बनाये और उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 91 रन है। यह विश्व कप में धौनी की 50 से अधिक रनों की एकमात्र पारी है।

Author: sangopang

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