यह खेती की वह पद्धति है जिसमें वातावरण की गुणवत्ता और खेती पर आधारित संसाधनों की बढोतरी पर ध्यान दिया जाता है.
इस बात का भी ध्यान रखा जता है कि मानव जाति की भोजन, चारे व ईंधन आदि आवश्यकताएं पूरी हों.
इसका मुख्य उद्देश्य यही होता है कि मानव अपनी जरूरत की फसलों का उत्पादन करे और इसका पारिस्थतिकी, पर्यावरण पर विनाशकारी असर भी न हो. यह संबंध लंबे समय तक बना हरे.