जीएएआर या गार (GAAR) का पूरा नाम general anti avoidance rule है जिसे हम हिंदी में सामान्य कर परिवर्धन रोधी नियम कहते हैं. इसके अलावा इसे सामान्य अपवंचन निवारक नियमावली (गार) भी कहा जाता है.
मौजूदा राजग सरकार ने गार का कार्यान्वयन दो और साल यानी 2017 तक टालने का फैसला किया है. गार साल 2013 के आम बजट के बाद चर्चा में आया जब तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने इसकी घोषणा की.
दरअसल गार का उद्देश्य दोहरा कराधान बचाव संधियों का दुरुपयोग करने वाली कंपनियों पर लगाम लगाना है. यानी कुछ कंपनियों विभिन्न दो सरकारों की कर संधियों की आड़ में कर बचाती हैं और कहीं भी कर नहीं देतीं. सरकार ने ऐसी ही कंपनियों पर जनरल एंटी अवाइडेंस रूल या जीएएआर के जरिए लगाम लगाने का प्रस्ताव किया.
गार के नियमों के अनुसार अगर किसी कंपनी पर अंतरराष्ट्रीय समझौते के हिसाब से कर देनदारी बनती है और कोई कंपनी या संस्था कर चोरी के मामले में पकड़ी जाती है तो उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जेल और जुर्माना भुगतना पड़ेगा. सरकार का मानना है कि विदेशी सब्सिडियरी कंपनियों द्वारा सौदा करके टैक्स चोरी की जाती है.
गार के कार्यान्वयन से आयकर विभाग के अधिकार बढ़ जाएंगे और विभाग कंपनियों से टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट (टीआरसी) जमा करने के बाद भी पूछताछ कर सकता है. दरअसल कंपनियां मॉरिशस जैसे कतिपय कर चोरी के गढ (टैक्स हैवन) देशों में से अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए धन लाते हैं. ये कंपनियां न ही मॉरिशस में टैक्स का भुगतान करती हैं और न ही भारत में टैक्स देती हैं. जीएएआर के जरिए सरकार की कोशिश इसी तरह के धन पर नियंत्रण करने की है और इस पर टैक्स लगाने की है.
हालांकि बाद में मुखर्जी ने कहा है कि जीएएआर एक अप्रैल 2012 के बजाय एक अप्रैल 2013 से लागू होगा. प्रस्तावित जीएएआर नियमों में बदलाव भी किया जाएगा. जीएएआर के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए कमेटी बनाई गई. जीएएआर लागू होगा या नहीं, इसे सिद्ध करने की जिम्मेदारी आयकर विभाग की होगी. जीएएआर के तहत आयकर विभाग उन सौदों की जांच कर सकता है, जिनका मकसद टैक्स चोरी हो. गार को लागू करने की अवधि बढ़ाने के साथ ही इसमें तीन नए संशोधन के प्रस्ताव भी किए गए. जीएएआर के उस प्रावधान को हटा दिया गया जिसमें कार्रवाई शुरू करने से दोषी नहीं होने का सबूत आयकर दाता की तरफ से पेश करने की बात कही गई थी. संशोधन के अनुसार आयकर विभाग को यह बताना पड़ेगा कि अमुक आयकरदाता के खिलाफ इस नियम का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है.
खैर कंपनियों आदि के विरोध के चलते इसका कार्यान्वयन टलता गया.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी 2015 को अपने बजट भाषण में गार का कार्यान्वयन दो और साल के लिए टालने की घोषणा की. यानी अब 31 मार्च, 2017 तक किए जाने वाले निवेश पर गार लागू नहीं होगा.
जेटली ने कहा कि गार पर अमल का मामला बहस का विषय रहा है. गार से संबंधित कतिपय विवादास्पद मामले भी हैं जिन्हें सुलझाए जाने की जरूरत है. इसलिए गार पर अमल को 2 साल तक टालने का निर्णय लिया गया है.