इस्लामिक क़ानून के तहत जज़िया कर उन लोगों पर लगाया जाता है जो ग़ैर मुस्लिम हैं. भारत में मुगल सल्तनत काल में यह व्यवस्था थी। यह कर उन्हें देना पड़ता था जो इस्लाम को तो स्वीकार नहीं करते लेकिन इस्लामी सल्तनत के संरक्षण में रहने को तैयार थे. इससे उन्हें एक सीमा तक स्वायत्तता मिलती, कुछ रियायतें भी मिलती लेकिन वे हथियार नहीं उठा सकते और न ही सेना में भर्ती हो सकते थे. क़ुरआन के अनुसार ग़ुलामों, महिलाओं, बच्चों, बूढ़ों, बीमारों और ग़रीबों पर जज़िया नहीं लगाया जाना चाहिए लेकिन बाद में इन प्रावधानों को छोड़ दिया गया और सभी ग़ैर मुसलमानों पर जज़िया लगाया जाने लगा.