भारत में चीयरलीडर आमतौर पर उन लड़कियों को कहा जाता है जो आईपीएल के मैचों के दौरान नृत्य यानी डांस के जरिए दर्शकों का मनोरंजन करती हैं. हमारे देश में यह शब्द आईपीएल के साथ ही लोकप्रिय हुआ. यह अलग बात है कि विदेशों में यह नया नहीं है.
चीयरलीडिंग हम जितना सोचते हैं उतना आसान नहीं है क्योंकि इसमें आमतौर पर एक से तीन मिनट के दौरान एक्रोबेट, जिम्नास्टिक, टंबलिंग, नृत्य, कूद, चीयर तथा स्टनिंग जैसी कई विधाओं का एक साथ प्रदर्शन करना होता है. इस विधा की शुरुआत 1877 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से मानी जाती है जबकि बेसबाल तथा फुटबाल मैचों के दौरान छात्रों के एक समूह ने चीयर किया.
यानी शुरुआती चीयरलीडर वास्तव में लड़के हुआ करते थे जो टीमों व दर्शकों का हौसला बढाने के लिए हुर्रे हुर्रे बूम बूम जैसे शब्द इस्तेमाल करते. इस लिहाज से देखा जाये तो भारत में भी यह विधा बहुत पुरानी है क्योंकि ‘जोर लगाके हइसा, चक दे, चक दे फट्टे, भोले का भाई बम.. ’ जैसे मुआवरों का इस्तेमाल टीम का हौसला बढाने के लिए किया जाता है. तो हम में से सभी कभी न कभी चीयरलीडर रहे हैं.
चीयर लीडर शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1897 के आसपास सामने आया जबकि प्रिंसटन के फुटबाल टीम अधिकारियों ने थामस, इस्टन तथा गुएरिन को एक एक कर चीयर लीडर नामांकित किया. पहला चीयरलीडर यूनिवर्सिटी आफ मिनेसोटा का छात्र जानी कैंपबेल को माना जाता है. उसने दर्शकों को “Rah, Rah, Rah! Ski-u-mah, Hoo-Rah! Hoo-Rah! Varsity! Varsity! Varsity, Minn-e-So-Tah!” बोल के साथ उत्साहित किया. इस विश्वविद्यालय ने पहली येल लीडर टीम बनाई जिसमें छह छात्र थे.
चीयरलीडरों का पहला समुदाय जो बना वह 1903 में गामा सिगमा था. चीयरलीडिंग में महिलाओं की भागीदारी 1907 में शुरू हुई. इस समय दुनिया भर में जो एक लाख से अधिक चीयरलीडर हैं उनमें 97 प्रतिशत महिलाएं हैं.
चीयरलीडरों की प्रतियोगिता 1997 में ईएसपीएन ने शुरू की. चीयरलीडरों पर कई फिल्में बन चुकी हैं जिनमें ब्रिंग इट आन तथा चीयरलीडर्स (व्यस्कों के लिए) शामिल है. चीयरलीडर्स अमेरिकन पोर्नोग्राफिक फिल्म है जिसे चार एवीएन अवार्ड मिले. यह 2008 में आई जबकि ब्रिंग इट आन 2002 में रीलिज हुई कामेडी फिल्म है. इसका निर्देशन पेइटन रीड ने किया. ब्रिंट इट आन के चार सिक्वल भी आये जो डायरेक्ट टु वीडियो हैं. इनमें ब्रिंग इट आन अगेन 2004 में जबकि अंतिम कड़ी ब्रिंग इट आन : फाइट टु द फिनिश 2009 में आई.
वैसे अमेरिका, जर्मनी व ब्रिटेन आदि देशों में तो चीयरलीडरों के संगठन हैं. कई संस्थाएं चीयरलीडर बनने के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देती हैं. लेकिन भारत में ऐसी कोई संस्था अभी सामने नहीं आई है. लेकिन चीयरलीडर बनने की जो मूल जरूरत है वह यह है कि आप मन से एथलीट हों और नृत्य में आपकी सांसों में बसता हो. कड़ी मेहनत तो खैर चाहिए ही. इसके अलावा चूंकि आप का चेयरा टेलीविजन सहित दूसरे मीडिया पर लाइव दिखेगा तो आपको सेक्सी बेवकूफ या फुदकने वाली चिड़िया जैसे जुमलों के लिए भी तैयार रहना होगा.