राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के विशेष सदस्य माधव चितले को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। समिति से गाद और रेत खनन के बीच अंतर करने तथा पारिस्थितिकी और गंगा नदी के ई-प्रवाह के लिए गाद हटाने की आवश्यकता के बारे में बताने को कहा गया था।
समिति की सिफारिशें: समिति ने गंगा से गाद निकालने के लिए चितले समिति ने कई उपायों की सिफारिश की है, जिनमें गाद हटाने के कार्य के लिए वार्षिक गाद बजट से सबसे अधिक गाद हटाने की प्रक्रिया का अध्ययन करना, पहले हटाई गई तलछट/गाद के बारे में बताते हुए वार्षिक रिपोर्ट(रेत पंजीयन) तैयार करना और तलछट बजट बनाने का कार्य एक तकनीकी संस्थान को सौंपा जा सकता है, आकृति और बाढ़ प्रवाह का अध्ययन जिसमें सबसे अधिक गाद वाले स्थान से गाद हटाने की आवश्यकता का निरीक्षण और पुष्टि करने पर विचार किया जाना शामिल है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भूमि कटाव, तलछट की सफाई और गाद अति जटिल घटनाएं हैं। तलछट प्रबंधन और नियंत्रण के लिए ‘सभी के लिए एक प्रकार’ का रूख अपनाया नहीं जा सकता, क्योंकि यह मामले अधिकतर क्षेत्र विशेष से जुड़े होते हैं। भौगोलिक, नदी नियंत्रण संरचनाएं, मृदा और जल संरक्षण उपाय, वृक्षों की संख्या, नदी के तट की भूमि का उपयोग या उसमें फेरबदल (उदाहरण के लिए कृषि, खनन आदि) जैसे स्थानीय कारकों का नदी के तलछटी के भार पर काफी प्रभाव पड़ता है। नदी नियंत्रण संरचनाओं (जैसे जलाशयों), मृदा संरक्षण उपायों और तलछट नियंत्रण कार्यक्रमों से गाद कम जमा हो सकती है, जबकि भूमि उपयोग में फेरबदल (उदाहरणार्थ वनस्पतियों की सफाई) या खेती जैसी गतिविधियों से गाद बढ़ सकती है। ऐसे में अंधाधुंध गाद हटाने से पारिस्थितिकी और पर्यावरण प्रवाह को अधिक नुकसान हो सकता है। इसलिये गाद हटाने के लिये दिशा निर्देश और बेहतर व्यापक सिद्धांत तैयार करने की आवश्यकता है, जिन्हें गाद हटाने की योजना बनाने और उसके कार्यान्वयन के समय ध्यान में रखा जाना चाहिये।
रिपोर्ट के अनुसार गंगा जैसी बड़ी नदियों में भूमि कटाव, तलछटी हटाने और गाद अति जटिल घटनाएं हैं और उनका अनुमान लगाने में अंर्तनिहित सीमाएं और अनिश्चितताएं होती हैं। गुगल अर्थ के नक्शे पर मुख्य नदी गंगा की पैमाइश से पता चलता है कि विभिन्न पाट गतिशील संतुलन चरण में हैं। तलछटी मुख्यरूप से भीमगौड़ा बैराज के नीचे की ओर तथा गंगा में मिलने वाली सहायक नदियों के संगम स्थल के नजदीक देखी गई है। अत्यधिक गाद, बड़े पैमाने पर तलछट का जमाव और इसके नकारात्मक प्रभाव मुख्य रूप से घाघरा और उसके आगे संगम के नीचे की ओर पाया जाता है। घाघरा के संगम से आगे मैदानी इलाके में बाढ़ तेजी से बढ़ कर लगभग 12 से 15 मिलोमीटर तक फैल जाती है।