सीधे साधे शब्दों में किसी देश के लिए चालू खाते के घाटे का मतलब उसकी विदेशी मुद्रा की आय व उसके व्यय में अंतर है। यानी किसी देश ने विदेशी मुद्रा के रूप में कितनी आय अर्जित की और कितना खर्च किया इसका अंतर ही चालू खाते का घाटा है। इससे यह अंदाजा लगता है कि अमुक अवधि में उस देश ने अपने यहां से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात की तुलना में कितनी तादाद में आयात किया। बड़ी बात यह है कि इस घाटे की गणना में वस्तुओं व सेवाओं, दोनों का आयात निर्यात शामिल रहता है।
भारत के लिए बात की जाए तो वित्त वर्ष 2016-17 में भारत का चालू खाते का घाटा या सीएडी जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रहा जो 2015-16 में जीडीपी का 1.1 प्रतिशत था।