ग्लोबल वार्मिंग यानी जलवायु परिवर्तन. यह मुद्दा बीते एक दशक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब चर्चा में रहा है. जलवायु में आ रहा परिवर्तन हमारे भविष्य को कैसे प्रभावित कर रह रहा है या करेगा इस पर खूब चर्चा हो चुकी है.
दरअसल मामला यह है कि हमारी पृथ्वी के वायुमण्डल में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है. सूर्य से आने वाली गर्मी (ऊष्मा) की कम मात्रा पृथ्वी से परावर्तित होकर अंतरिक्ष में लौटती है. बाकी ऊष्मा वायुमण्डल में कैद होकर रह जाती है, जिससे वायुमण्डल का ताप बढ़ता जाता है. इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं.
यानी धरती या हमारी जलवायु मंडल का बढता ताप ही ग्लोबल वार्मिंग है.
इसके परिणाम की बात की जाये तो ‘भयावह व डरावने’ हैं. कहा जा रहा है कि इसके कारण ध्रुवों की बर्फ पिघल रही है, समुद्र का जलस्तर बढा है तथा निकटवर्ती क्षेत्रों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है. हालांकि कई बार कहा जाता है कि वैज्ञानिक ये दावे बढाचढाकर पेश करते हैं.