गाजर घास एक खरपतवार है जिसका कोई इलाज बीते छह दशकों में नहीं ढूंढा जा सका है.
इसका वैज्ञानिक नाम पार्थेनियम है जबकि आम भाषा में इसे कांग्रेस घास कहते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस घास के बीज 1956 में अमेरिका से गेहूं के आयात के साथ आए थे. बिन बुलाए मेहमान की तरह. तभी से वैज्ञानिक इसके उन्मूलन में लगे हैं लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.
बताते हैं कि इसके एक पौधे से दो हजार बीज फूटते हैं और देखते ही देखते पूरा क्षेत्र गाजर घास से पट जाता है. इस खरपतवार से अस्थमा व एलर्जी जैसी बीमारी भी फैलती है.