इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन आफ नेचर यानी आई यू सी एन (IUCN) हर चौथे साल पृथ्वी पर उन प्रजातियों की सूची प्रकाशित करती है जो संकट में हैं. इस सूची को ‘आईयूसीएन रेड लिस्ट आफ थ्रेटन्ड स्पेसीज’ (IUCN Red List of Threatened Species) कहा जाता है.
यह रेड लिस्ट दुनिया भर में फैले हज़ारों वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर बनती है इसलिए दुनिया में जैव विविधता पर इसे सबसे प्रमाणिक और विश्वसनीय माना जाता है. इसकी ताजा रपट 19 जुलाई 2012 को रियो पृथ्वी सम्मेलन के अवसर पर जारी की गई.
इस रपट की आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर की 47,677 प्रजातियों का विशलेषण किया गया जिनमें से 17,291 प्रजातियां संकट में हैं.
इसके अनुसार भारत में 687 पौधों व जीवों की कुल 687 प्रजातियों पर संकट हैं और यह दुनिया के उन शीर्ष दस देशों में शामिल हो गया है जहां सबसे अधिक प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है. भारत में उड़ने वाली गिलहरी, एशियाई सिंह, काले हिरण, गेंडे, गंगा डाल्फिन, बर्फीले तेंदुए सहित अनेक जीवों को संकटग्रस्त करार दिया गया है.
रपट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि जैव विविधता के लिए 2010 के तय लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकेगा. आईयूसीएन रेड लिस्ट इकाई के प्रबंधक क्रेग हिल्टन टेलर का कहना है कि विश्व समुदाय को जैव विविधता के संकट से निपटने के लिए इस रपट का बुद्धिमता से इस्तेमाल करना चाहिए.
इस पहल या संगठन की स्थापना 1964 में हुई थी और यह अपनी स्थापना का पचासवां साल मना रही है.