क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud computing) भी प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक नया शब्द है जिसे इस क्षेत्र के भावी विकास के लिए महत्वूपर्ण माना जा रहा है. यह मुख्यत: संसाधनों में साझेदारी जैसा मामला है. क्लाउड कंप्यूटिंग की सेवा देने वाली कंपनी अपने यहां बड़ी बड़ी क्षमता के सर्वर लगाती है और आप, मैं या कोई भी कंपनी उन सर्वर पर स्पेस का इस्तेमाल किराया देकर कर सकती हैं. यानी हमें अपने स्तर पर डेटा स्टोर की क्षमता बनाने का खर्च या उसके रखरखाव का झंझट नहीं पालना पड़ेगा. यह काम सेवा प्रदाता कंपनी का होगा.
कुल मिलाकर क्लाउड कंप्यूटिंग भी आनलाइन लॉकर जैसा मामला है जिसमें आप अपना सामान डेटा रखते हैं और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए तय मासिक या वार्षिक किराया चुकाना होता है. यह अवधारणा भी इक्कीसवीं सदी में विशेषकर 2010 के दशक में अधिक चर्चा में आई है. अब तक कंपनियां इसमें बड़ी कमाई की राह देखती हैं. हालांकि इस सेवा में डेटा की निजता, गोपनीयता जैसी चिंताएं जुड़ी हुई हैं.
इस प्रौद्योगिकी में क्लाउड का अर्थ बादलों से नहीं बल्कि समूह से है. ऐसा समूह जो कंप्यूटर डेटा स्टारोज क्षमता का इस्तेमाल मिलकर करता हो. इसके जरिए स्टोरेज, साफ्टवेयर व एप्लीकेशंस की सेवाएं भी दी जाती हैं. हां, इसकी तुलना हम ग्रिड कंप्यूटिंग से भी कर सकते हैं.