भारतीय धर्म समाज में विशेषकर गंगाजल की बड़ी महत्ता है. गंगाजल की कुछ विशेषताएं हैं जिनमें से सबसे बड़ी यह कि यह जल कभी खराब नहीं होता. यानी यह सड़ता नहीं है. इस पानी की जैविक संरचना विशिष्ट है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगा के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते और यह लंबे समय तक खराब नहीं होता.
गोमुख से निकली भागीरथी, प्रयाग में अलकनंदा से मिलती है. इतनी दूरी तयह करने के दौरान इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती.