व्हाटसअप या व्हाटसएप वास्तव में एक नयी यानी स्टार्टअप टेक्नालाजी कंपनी का नाम है. इसकी स्थापना 2009 में जान काउम (Jan Koum) व ब्रायन एक्टन (Brian Acton) ने की. ये दोनों इससे पहले याहू में 20 साल तक काम कर चुके थे. यह भी अमेरिकी कंपनी है. फरवरी 2014 में फेसबुक ने इसे 19 अरब डालर में खरीदने की घोषणा की. इस तरह से अब व्हाटसअप, फेसबुक का ही एक हिस्सा है.
मजे की बात है कि याहू से नौकरी छोड़ने के बाद इन दोनों ने फेसबुक में आवेदन किया था लेकिन उसमें विफल रहे. यह अलग बात है कि इनके बनाये इंस्टेंट मैसेज एप्प व्हाटसअप ने धूम मचा दी. फेसबुक ने जब इसे खरीदा तो वह उसका तब तक का सबसे महंगा बड़ा सौदा था. साल 2014 के आखिर तक यह अपनी तरह का दुनिया का सबसे लोकप्रिय एप्प बन गया. दुनिया भर में 70 करोड़ और भारत में ही सात करोड़ से अधिक लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. अनेक स्मार्टफोन कंपनियां अपने हैंडसेट में इसे पहले से ही इंस्टाल करके देने लगी हैं. यह विंडोज से लेकर एंड्रायड व आईफोन तक हर तरह के फोन पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
लेकिन हम अपने मोबाइल में जिस व्हाटसअप का इस्तेमाल करते हैं वह इस कंपनी का एप्प या उत्पाद है. इसके जरिए हम बिना कोई शुल्क चुकाए संदेश, फोटो व वीडियो आदि शेयर कर सकते हैं. यानी हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए. सबसे बड़ी बात यह है कि कंपनी न तो अपने ग्राहकों से पैसा लेती है कुछ सयम अवधि तक जैसे कि भारत में एक साल तक और न ही इस एप्प पर कोई विज्ञापन दिखाती है. यानी कोई झंझट ही नहीं है.
अब तक की व्यवस्था के अनुसार भारत में इसका एक साल तक नि:शुल्क इस्तेमाल किया जा सकता है उसके बाद यह 57 रुपये यानी लगभग एक डालर सालाना शुल्क लेगी.
कंपनी ने 22 जनवरी को कहा कि अब व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल कंप्यूटर के जरिए भी किया जा सकेगा.