करोड़पति कर से आशय देश के धनी लोगों पर अतिरिक्त कर लगाने से है. यह अवधारणा अमेरिका से आई जहां प्रमुख निवेशक वारेन बफे ने एक बार कहा कि देश के आम लोग धनी लोगों से कहीं ज्यादा कर देते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस विचार को यह कहते हुए आगे बढाया कि उनके सचिव उनसे अधिक कर चुकाते हैं. इसलिए देश के धनी लोगों या करोड़पति लोगों पर अधिक कर लगना चाहिए. ओबामा ने कहा था कि हर साल दस लाख डालर से अधिक कमाने वाले व्यक्ति पर तीस प्रतिशत कर लगाया जाए. इसे ही करोड़पति कर कहा गया. इसे बफे रूल भी कहते हैं.
बाद में आस्ट्रेलिया में भी ताकतवर श्रमिक संघों ने सरकार पर इस तरह का कर लगाने के लिये दबाव बनाया है. आस्ट्रेलियन काउंसिल आफ ट्रेड यूनियंस :एसीटीयू: एक सुधार पर बातचीत कर रहे है जिनमें कम और मध्यम आय वर्ग पर पड़ने वाले कर का बोझ करोड़पतियों और अरबपतियों पर डाला जाएगा.
श्रमिक संगठनों का मानना है कि देश में खनन क्षेत्र के अरबपतियों जैसे क्लाईव पामर, एंड्रयू फारेस्ट और अन्य अपनी रिटर्न में इस मद में कर देना चाहिये.