एमसीएलआर या सीमांत लागत आधारित उधारी दर दरअसल उधारी या ब्याज दर तय करने का फार्मूला है। हमारे देश में एक अप्रैल 2017 से लागू हुआ। इससे पहले आधार दर वाला फार्मूला काम कर रहा था लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक का मानना था कि यह प्रभावी नहीं है। केंद्रीय बैंक व विश्लेषकों का मानना था कि बैंक कर्ज की ब्याज दर घटाने में आनाकानी करते हैं।
तो एमसीएलआर बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दर तय करने का नया फार्मूला है। यह फार्मूला एक अप्रैल 2016 से लागू हुआ। इसमें हर बैंक अपनी एमसीएलआर दर की घोषणा करता है। ग्राहकों के लिए इससे कई तरह के फायदे हुए हैं। एक तो बैंकों की रिण ब्याज दर में पारदर्शिता आई है, वह कम हुई है।
एमसीएलआर के बारे में दिशा निर्देशों का प्रारूप भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सितंबर 2015 को जारी किया था। इस बारे में अंतिम दिशा निर्देश 17 दिसंबर 2015 को जारी किए गए।