एप्स की एबीसीडी

इधर कुछ दिनों से हर आमोखास एप्प की बड़ी बात करता है. दोस्त सलाह देते हैं वह एप्प इस्तेमाल करों, कंपनियां कहती हैं कि ये एप्प डाउनलोड करो.

आखिर एप्प है क्या बला? कुछ नहीं जुगाड़ है या कहें कि किसी सेवा के इस्तेमाल के लिए बना उपकरण है, बस यह हार्डवेयर नहीं बल्कि साफ्टवेयर रूप में ही होता है.

एप या एप्स (APPS, apps or app) वास्तव में एप्लीकेशन (application) का ही संक्षेप है. जैसे कि पहले हमें कैसेट से गाने सुनने के लिए टेप रिकार्डर या कैसेट प्लेयर का इस्तेमाल करना होता था. वीडियो कैसेट के लिए वीडियो प्लेयर का.

लेकिन कंप्यूटर प्रौद्योगिकी आने के बाद यह सब बहुत आसान हो गया. कंप्यूटर में एक ही जगह सब जुगाड़ होता है. वहां गाने सुनने के लिए मीडिया प्लेयर है तो वीडियो सुनने के लिए वीएलसी जैसे अनेक एप्लीकेशन. बात इतनी सी है कि 2010 वाले दशक में विशेषकर स्मार्टफोनों के लोकप्रिय होने के बाद एप्लीकेशन.. एप्प हो गया और एप्प बनाना एक कला और करोड़ों अरबों का कारोबार बन गया.

एक सर्वे के अनुसार साल 2014 में केवल भारत में ही लगभग दो अरब मोबाइल एप्प डाउनलोड किए गए. एसोचैम व डेलायट के सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकालते हुए अनुमान लगाया गया कि 2015 तक भारत में स्मार्टफोन चलाने वाले नौ अरब एप्प डाउनलोड करेंगे. इसे एप्प बाजार के विकास का नमूना कहा जा सकता है.

Author: sangopang

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