सोलह आने यानी एक रुपया. किसी समय जिस एक रुपए की बहुत कीमत होती थी उसे सरकार ने 2015 में फिर से छापने का फैसला किया और मार्च में एक रुपए का नया नोट जारी हो गया.
आठ मार्च 2015 को केंद्रीय वित्त सचिव राजीव महर्षि ने नाथद्वारा, राजस्थान के श्रीनाथ मंदिर में एक रुपए के नए नोटों की एक गड्डी चढ़ाई.
उल्लेखनीय है कि एक रुपए के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं जबकि बाकी के नोटों पर रिजर्व बैंक गवर्नर के.
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने 13 फरवरी 2015 को कहा था कि वह एक रुपए का नोट फिर से छाप रहा है. सरकार ने बीस साल बाद यह नोट फिर छापने शुरू किए क्योंकि नवंबर 1995 में इनका मुद्रण बंद कर दिया गया था. अधिक लागत तथा अधिक मूल्य वाले नोटों की बढ़ती मांग के बीच सरकार ने यह फैसला किया था और इसकी जगह एक, दो व पांच रुपए के सिक्कों का प्रचलन बढा दिया.
रिजर्व बैंक का कहना है कि नये नोट पर रुपए का निशान तथा सत्यमेव जयते वाले एक रुपए के सिक्के की छवि भी होगी. नंबर वाली पट्टी पर नंबर के साथ अंग्रेजी अक्षर एल लिखा होगा. वैसे नये हो या पुराने एक रुपए के नोट तो यूं ही चलते ही रहेंगे.
कभी 25 पैसे को चार आने, 50 पैसे को आठ आने व एक रुपए को सोलह आने के बराबर बोलने वाले समय में एक रुपए की कद्र होती थी. एटीएम, क्रेडिट कार्ड के बीच खनखनाते सिक्कों में वह कितना लोगों को लुभा पाएगा, देखना होगा.