एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को हम अस्थानिक गर्भाधान भी कह सकते हैं.
गर्भाधान की इस स्थिति में गर्भ गर्भाशय में न होकर गर्भाशय तक जाने वाली डिम्बवाही नली यानी फिलोपियन ट्यूब में ठहर जाता है.
दरअसल यह अस्वाभाविक गर्भधान है. आमतौर पर संभोग के बाद जब अंडाशय से अंडा पककर फूटता है तो फिलोपियन ट्यूब उसे ले लेती है. यहीं पुरुष के शुक्राणु उससे मिलते हैं और तीन दिन के बाद वह खुद गर्भाशय पहुंच जाते हैं. लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता. फिलोपियन ट्यूब में किसी संक्रमण के कारण रुकावट हो जाती है और गर्भ, नली में ही अटक जाता है.
गर्भवती के लिए इस तरह का गर्भाधान संकट भरा हो सकता है. अगर इसका समय से पता नहीं चले और गर्भ बढ़ता रहे तो नली फट सकती है और महिला की जान जा सकती है. इसीलिए गर्भाधान की लगातार जांच जरूरी है और गर्भवती महिलाओं को लगातार चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है.