आमतौर पर लोग भविष्य में होने वाली संभावित आय को ध्यान में रखते हुए अपनी खर्च योजनाएं बनाते हैं यही उपभोग का स्थायी आय सिद्धान्त है जिसे अमेरीकी अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने पेश किया है।
फ्रीडमैन के अनुसार, उपभोग आय के वर्तमान स्तर के बजाय दीर्घकालीन संभावित आय से निर्धारित होता है और दीर्घकालीन संभावित आय ही फ्रीडमैन के अनुसार स्थायी आय कही जाती है। इसके अनुसार उपभोग व्यक्ति की स्थायी आय के आनुपातिक होता है।