ई कचरा यानी इलेक्ट्रिक्ल उत्पादों का कचरा. इस तरह के कचरे में खराब या बेकार उत्पाद. संचार कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी से कंप्यूटर, सर्वर, मानीटर, प्रिन्टर, सेल फोन, कैलकुलेटर, आडियो व वीडियो उपकरण और टेप, कापीयर, टीवी, एसी, रेफ्रीजरेटर, वाशिग मशीन उत्पाद शामिल हैं.
जून 2012 में उद्योग मंडल एसोचैम ने जो आंकड़े जारी किए थे उनके अनुसार भारत में हर साल 4.4 लाख टन ई कचरा पैदा होता है और यह मात्रा लगभग 20 प्रतिशत सालाना की दर से बढ रही है. कुल ई कचरे में लगभग 68 प्रतिशत हिस्सा कंप्यूटर उपकरणों का है, इसके बाद दूरसंचार (12 प्रतिशत), इलेक्ट्रिक्ल (आठ प्रतिशत) व मेडिकल उपकरण (सात प्रतिशत) है. घरों से निकलने वाले छोटे मोटे ई कचरे का हिस्सा पांच प्रतिशत है.
इसमें कोई दोराय नहीं है कि इस तरह के उत्पादों के बढते उपभोग तथा नित नये उत्पादों व माडलों के बाजार में आने से ई कचरा इस समय तथा आने वाले दिनों में बड़ी समस्या साबित होने जा रहा है. इनके निपटान की चुनौती देश के समक्ष मुहं बाये खड़ी है.
इस समय इस तरह का 90 प्रतिशत कचरा यूं ही आसपास के गड्ढों आदि में पड़ा रहता है. सारा काम असंगठित क्षेत्र या कचरा बीनने वाले या कबाड़ी करते हैं. देश में ई कचरे के रिसाइकिल करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है.