ईवीएफआरटी परिेयोजना

ईटीए (Electronic Travel Authorization) तथा ईवीएफआरटी (Immigration, Visa, Foreigners Registration and Tracking) दरअसल आगमन पर वीजा प्रणाली को सुगम बनाने का ही एक तरीका है. ईटीए व आईवीएफआरटी के तहत संभावित पर्यटक भारतीय वीजा के लिए अपने गृह देश से आनलाइन ही आवेदन कर सकता है. उसके ​इसलिए भारतीय मिशन में जाने की जरूरत नहीं होती. वह वीजा शुल्क भी आनलाइन चुका सकता है.

वीजा मंजूर होने के बाद आवेदक को ईमेल मिलता है जिसका प्रिंट लेकर वह भारत की यात्रा पर निकल सकता है. भारत पहुंचने पर वह अपना यह अनुमति पत्र आव्रजन ​अधिकारियों को दिखाएगा तो उस पर प्रवेश की मुह​र लगा देंगे.

यह परिेयोजना राष्ट्रीय ई-शासन योजना के अंतर्गत गृह मंत्रालय द्वारा हाथ में ली गई मिशन मोड परियोजना में से एक है. केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 17 फरवरी को संसदीय समिति को बताया कि परियोजना के दायरे में विदेशों के 178 भारतीय मिशन और 13 विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय, 674 विदेशी पंजीकरण कार्यालय और देश के भीतर 83 अप्रवासी चैक पोस्ट शामिल हैं.

इस परियोजना को विदेश स्थित 155 भारतीय मिशनों और 13 विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों (FRROs), 450 विदेशी पंजीकरण कार्यालयों (FROs) और 81 आव्रजन चैक पोस्टों (ICPs) आव्रजन चैक पोस्ट  में लागू किया जा चुका है, जिसमें भारत आने वाले 85 प्रतिशत विदेशी शामिल हैं. शेष 23 भारतीय मिशनों में परियोजना को लागू करने, विदेश स्थित 116 भारतीय मिशनों में बायोमैट्रिक सॉफ्टवेयर लगाने, 224 विदेशी पंजीकरण कार्यालयों और हवाई अड्डों में ई-गेट लागू करने का काम मार्च 2017 तक पूरा हो जाएगा.

सरकार का कहना है कि आगमन पर पर्यटन वीजा इलेक्ट्रानिक यात्रा अनुमति से संभव हुआ है, जो इस परियोजना का अहम हिस्सा है. इसे 27 नवंबर 2014 को 44 देशों में शुरू किया गया. 17 फरवरी 2015 तक 75 दिनों में 65,000 ईटीए जारी किये जा चुके हैं और औसतन प्रति दिन 1000 ईटीए जारी किये जा रहे हैं.

सिंह ने बताया कि दिसंबर, 2014 के दौरान पर्यटकों के आगमन में पिछले वर्ष की तुलना में 421.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सरकार ने दिसंबर, 2013 के दौरान 2700 वीजा जारी किये जबकि दिसंबर 2014 में जारी इलेक्ट्रानिक यात्रा अनुमति की संख्या 14,083 थी.

जिन 44 देशों के लिए इलेक्ट्रॉंनिक यात्रा अनुमति योजना शुरू की गई है, उनमें आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कंबोडिया, कुक द्वीप, जिबूती, माइक्रोनेशिया, फिजी, फिनलैंड, जर्मनी, इंडोनेशिया, इस्राइल, जापान, जोर्डन, कीनिया, टोंगो, लाओस, लग्जमबर्ग, मारीशस, मैक्सिको, म्यांमा, न्यू्जीलैंड, नार्वे, ओमान, फली‍स्तीन, पपुआ न्यू गिनी, फिलीपीन, किरीबाती गणराज्य्, दक्षिण कोरिया, मार्शल द्वीप, नारू, पलाऊ, रूस, समोआ, सिंगापुर, सोलोमन द्वीप, थाईलैंड, तुआलू, संयुक्त अरब अमीरात, यूक्रेन, अमरीका, वियतनाम और वनूआतू शामिल हैं.

यह सुविधा देश के नौ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों दिल्ली, मुंबई, चेन्नाई, हैदराबाद, गोवा, तिरूअनंतपुरम, कोच्चि, बंगलुरू और कोलकाता में उपलब्ध है.

परियोजना के लिए 1011 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया था हालांकि बाद में 638.90 करोड़ रूपये अतिरिक्त खर्च का अनुमान लगाया गया.

Author: sangopang

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