इंटरनेट आफ थिंग्स यानी भविष्य का संसार

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इंटरनेट आफ थिंग्स (Internet of Things- IOT) मोटे तौर पर विभिन्न इकाइयों के बीच इंटरनेट के जरिए संपर्क को कहते हैं. यहां थिंग्स से मतलब इकाई से है जो कि कोई मनुष्य, मशीन या पशु भी हो सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्यत: वायरलैस यानी बेतार प्रौद्योगिकी पर आधारित इस प्रणाली में मानवीय हस्तक्षेप कम से कम या नहीं के बराबर होता है.

जैसे कि आप सुबह घूमने गए और मोबाइल से गाने हैडफोन के जरिए सुन रहे हैं. जैसे ही आप घर में घुसेंगे वह गाने अपने आप घर के म्यूजिक सिस्टम पर बजने लगेंगे. इसके लिए आपको कुछ नहीं करना पड़ेगा. यानी आपका मोबाइल, हैडफोन, म्यूजिक सिस्टम सब इंटरनेट के जरिए आपस में जुड़े होंगे. यह शब्द विशेषकर इन्हीं एक दो साल में चर्चा में आया है जबकि अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां इस पर ध्यान देने लगीं और इसे भविष्य की बड़ी चीज बताने लगीं. इसमें बड़ी बात यही है कि आपस में कनेक्ट होने वाली इकाइयां आईपी एड्रेस आधारित होती हैं.

अपनी भाषा में हम इसे अनेक ‘इकाइयों का इंटरनेट’ या इकाइ भी कह सकते हैं.

टीसीएस की राय: देश की प्रमुख आईटी कंपनी टीसीएस ने इंटरनेट आफ थिंग्‍स को प्रौद्योगिकी जगत में तीसरी सबसे प्रमुख लहर करार दिया है. कंपनी के प्रमुख ए चंद्रशेखरन ने जनवरी 2015 में दावोस में विश्‍व आर्थिक मंच की बैठक में कहा कि भविष्‍य में इंटरनेट आफ थिंग्‍स हर कंपनी, उद्योग और यहां तक की समाज में आमूल चूल बदलाव लाएगा.

एक अनुमान के अनुसार 2020 तक 50 अरब से अधिक डिवाइस या उपकरण आपस में जुड़े होंगे. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों का समाज कैसा होगा, वह किस तरह बात करेगा और कैसे कारोबार करेगा.

उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी क्ष्‍ोत्र की पहली लहर डब्‍ल्‍यू डब्‍ल्‍यू डब्‍ल्‍यू या वर्ल्‍डवाइड वेब थी जिसे सूचनाओं के स्रोतों को आपस में जुड़ने का मौका दिया.

दूसरी लहर ने व्‍यक्तियों या इकाइयों को आपसे में कनेक्‍ट होने की अनुमति दी. तीसरी लहर इंटरनेट आफ थिंग्‍स है जिसने घरों, कार्यालयों, कारखानों व शहरों में बहुत सारे इलेक्ट्रिक्‍ल और इलेक्‍ट्रानिक्‍स उपकरणों को आपस में जोड़ दिया है.

Author: sangopang

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