आर्थिक समीक्षा को देश की अर्थव्यवस्था पर बजट पूर्व रिपोर्ट कार्ड भी कहा जा सकता है. हर साल आम बजट से ठीक एक दिन पहले केंद्रीय वित्तमंत्री इसे संसद में पेश करते हैं. इसमें देश की वित्तीय स्थिति के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों के निष्पादन तथा संभावनाएं, अनुमान होते हैं.
रिपोर्ट में देश की वित्तीय स्थिति का पूरा लेखा जोखा होता है साथ ही इसमें यह भी सुझाया जाता है कि हालात को और बेहतर बनाने तथा आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए क्या और कदम उठाए जा सकते हैं. इसमें अलग अलग अध्याय या खंड होते हैं और शुरुआत ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति तथा परिदृश्य’ से होती है.
पुस्तकाकार यह रपट वित्त मंत्रालय का आर्थिक कार्य विभाग तैयार करता है. इसमें केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक तथा एक्जिम बैंक से मिली जानकारी शामिल होती है.
चूंकि यह रपट सिर्फ सरकारी दस्तावेज भर होती है. 2011-12 की आर्थिक समीक्षा पेश करने के बाद वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि यह समीक्षा बजट बनाने के लिए महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराती है और इसमें आलोच्य वित्त वर्ष में आर्थिक विकास तथा चुनौतियों का जिक्र होता है. इस साल इसमें दो नये खंड ‘जलवायु परिवर्तन’ तथा ‘भारत व वैश्विक अर्थव्यवस्था’ जोड़े गए हैं.