वरिष्ठ कवि अरूण कमल (arun kamal) का जन्म 15 फरवरी 1954 को बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज में हुआ था. अपनी केवल धार(1980), सबूत (1989), नए इलाके में (1996), पुतली में संसार (2004) उनकी मुख्य काव्यकृतियां हैं. उनकी दो आलोचना पुस्तकों कविता और समय (1999) और गोलमेज (2009) के अलावे उनके साक्षात्कारों की एक पुस्तक कथोपकथन (2009) भी प्रकाशित हो चुकी है. फिलहाल वे आलोचना पत्रिका के संपादन से जुडे हैं.
अरूण की कविताओं का अनुवाद अनेक भाषाओं में हो चुका है. वियतनामी कवि ‘तो हू’ की कविताओं और रूसी कवि मायकोवस्की की आत्मकथा का उन्होंने अनुवाद किया है. कविता को लेकर उनका मानना है कि – ‘ जो सामने है, जो आसपास है वही हमारा विषय है, उसी में प्राण हैं. यानी कोशिश रही साधारण की असाधारणता को खोजने की. गालिब के शब्दों में, एक कतरे में दरिया को देखने की।’ भाषा के विराट प्रीतिभोज में वे खुद को ‘जूठन और गिरे हुए टुकडे उठाता …खडा’ पाते हैं.
अरूण कमल की कविताएं अपनी तरह से समय की विडंबनाओं को अभिव्यक्त करती हैं –
‘बस इसलिए कि तुम्हारे देश में हूँ
और तुम मुझे दो मुट्ठी अन्न देते हो
और रहने को कोठरी
मैं चुप्प रहूँ?
इतना तो मुझे वहाँ भी मिल जाता
या इससे भी ज़्यादा बहुत-कुछ अगर इतना बस
सीख जाता कि कहीं कुछ भी हो बस नज़र फेर लो ‘
अरूण कमल को भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार(1980), सोवियत भूमि पुरस्कार(1989), श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार (1990), रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार(1996), शमशेर सम्मान (1997) एवं कविता संग्रह नए इलाके में के लिए (1998) के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.