वीवीएस लक्ष्मण और हरभजन सिंह की नजर में अंबाती रायुडु विशेष प्रतिभा का धनी है लेकिन वह अभी तक अपनी प्रतिभा के साथ पूरी तरह न्याय नहीं कर पाये हैं। उन्होंने शुरू से बहुत जल्दी परिणाम हासिल करने के प्रयास में अपना करियर भी दांव पर लगा दिया था। अपने करियर के शुरू में कभी कोच तो कभी अंपायरों के साथ मतभेदों के कारण वह परेशानी में पड़े और ऐसे में जिस बल्लेबाज को प्रतिभाशाली माना जाता था उसका करियर दांव पर लग गया।
इंडियन क्रिकेट लीग ने रही सही कसर पूरी कर दी। रायुडु इससे जुड़ गये और इससे उनका राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का सपना भी टूटता हुआ दिखने लगा। आखिर में बीसीसीआई ने आईसीएल से जुड़े खिलाड़ियों को राहत दी और उन्हें वापसी का मौका दिया। रायुडु ने हैदराबाद के बजाय बड़ौदा से खेलना शुरू कर दिया।
अपनी प्रवाहमय बल्लेबाजी और स्ट्रोक लगाने में कुशलता के कारण रायुडु को आखिर 2013 में जिम्बाब्वे दौरे में भारत की तरफ से खेलने का मौका मिल गया। उन्होंने अपने पहले मैच में ही अर्धशतक जड़कर शानदार आगाज किया लेकिन इसके बाद अंदर बाहर होते रहे। पिछले साल श्रीलंका के खिलाफ अहमदाबाद में नाबाद 121रन बनाकर उन्होंने विश्व कप टीम में अपनी जगह सुनिश्चित की।
आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला में वह अवसरों का सही तरह से फायदा उठाने में नाकाम रहे। तीनों मैचों में क्रीज पर समय बिताने के बाद वह 23, 23 और 12 रन बनाकर पवेलियन लौटे। विश्व कप में मध्यक्रम में उन्हें नाजुक मौकों पर बल्लेबाजी करनी पड़ सकती है और 29 वर्षीय रायुडु को इसके लिये तैयार रहना चाहिए। रायुडु विकेटकीपिंग भी कर लेते हैं और यदि किसी मैच में धौनी नहीं खेल पाते हैं कि तो उन्हें विकेट के आगे ही नहीं विकेट के पीछे भी अपना कौशल दिखाना होगा। जिम्मेदारियां काफी हैं देखना है कि रायुडु उस पर खरा उतर पाते हैं या नहीं। वह पहली बार विश्व कप में खेलेंगे। उन्हें अब तक केवल 27 वनडे मैच खेलने का मौका मिला जिसमें उन्होंने 41.27 की औसत से 743 रन बनाये हैं। रायुडु के नाम पर एक शतक और पांच अर्धशतक भी दर्ज हैं।