भारतीय स्टेट बैंक व इसके पांच सहयोगी बैंकों का विलय एक अप्रैल 2017 को तकनीकी रूप से प्रभावी हो गया। सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई को दुनिया के प्रमुख बैंकों में शामिल करने व इसके परिचालन को प्रभावी बनाने के लिए यह पहल की। चूंकि महिला बैंक का विलय भी इसी दिन एसबीआई में हुआ तो इस तरह से छह सहयोगी बैंकों का विलय एसबीआई में हुआ।
इसके तहत जिन बैंकों का विलय एसबीआई में किया गया उनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी) और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (एसबीटी) है। इसके साथ ही भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) का का विलय भी इसी तारीख से एसबीआई में हो गया।
यह पहल सरकार की इंद्रधनुष कार्ययोजना के तहत की गई और संभावना है कि इससे कार्यकुशलता और लाभ के मामले में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार आएगा। सरकार का मानना है कि उसके इस कदम से किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में सहायक बैंकों के सामने पेश आ रही दिक्कतें कम होंगी। साथ ही इससे आर्थिक और संचालन में कुशलता के मोर्चे पर सुधार होगा। इससे जोखिम प्रबंधन और एकीकृत ट्रेजरी परिचालन में भी सुधार होगा।
इस पहल से सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य पूरा हुआ और 37 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ एसबीआई दुनिया के 50 शीर्ष बैंकों में आ गया। इसकी शाखाओं की संख्या 24,000 व एटीएम की संख्या 59,000 हो गई। एसबीआई का कहना है कि संपत्ति के आधार पर अब वह दुनिया के शीर्ष 50 देशों में से एक है।
सरकार ने बैंकों के एकीकरण की प्रक्रिया में नरसिम्हन समिति द्वारा दिए गए सुझावों को अंगीकार किया।
मंत्रिमंडलीय मंजूरी: इससे पहले 15 फरवरी 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सहायक बैंकों के अधिग्रहण को स्वीकृति दी। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का अधिग्रहण स्टेट बैंक यानी एसबीआई द्वारा करने को मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (सहायक बैंक) अधिनियम 1959 और हैदराबाद स्टेट बैंक अधिनियम 1956 को निरस्त करने के लिए संसद में एक विधेयक प्रस्तुत करने को स्वीकृति प्रदान कर दी।