यह नवंबर 2014 की बात है. ‘गार्डियन आफ पीस’ नाम के एक हैकर समूह ने सोनी पिक्चर्स इंटरटेनमेंट की कंप्यूटर प्रणाली में सेंधमारी की. इन साइबर हमलों में सोनी पिक्चर्स की कई प्रस्तावित फिल्में व गोपनीय सूचनाएं चुराकर इंटरनेट पर डाल दी गईं. यह मुद्दा अमेरिका व उत्त्ार कोरिया के बीच तनाव का कारण भी बना.
दरअसल इस सारे विवाद की जड़ ‘द इंटरव्यू’ है. यह एक फिल्म है जिसका वितरण सोनी पिक्चर्स की फिल्म वितरक कंपनी कोलंबिया पिक्चर्स कर रही थी. द इंटरव्यू एक राजनीतिक व्यंग्य ड्रामा है जिसमें दो पत्रकार उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन की हत्या के मिशन पर तैनात किए जाते हैं और वे इसके लिए कोरियाई नेता का इंटरव्यू साक्षात्कार करने की योजना बनाते हैं.
उत्तर कोरिया की सरकार इस फिल्म से खुश नहीं थी क्योंकि उसे लगता है कि इसमें उसके नेता जोंग-उन का मजाक उड़ाया गया है. उसने जून 2014 में कहा कि अगर कोलंबिया पिक्चर्स फिल्म की रिलीज नहीं रोकती है तो अमेरिका के खिलाफ ‘कठोर’ कार्रवाई की जाएगी. बढते विवाद व तनाव के बीच कोलंबिया पिक्चर्स ने द इंटरव्यू की रिलीज तारीख 10 अक्तूबर से बढाकर 25 दिसंबर कर दी; ऐसा भी कहा जाता है कि उसने फिल्म को उत्तर कोरिया के लिए स्वीकार्य बनाने के लिए संपादित भी किया. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित विभिन्न कलाकारों, हालीवुड संगठनों ने कंपनी के इस कदम की आलोचना की.
इस बीच नवंबर में कोलंबिया पिक्चर्स की पैतृक कंपनी पर साइबर हमले हो गए. यह हमले हैकर समूह ‘गार्जियन आफ पीस’ ने किए और अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियों ने माना कि यह समूह उत्तर कोरिया का है. हैकरों ने सोनी पिक्चर्स की कई नयी फिल्मों व गोपनीय सूचनाओं को चुराकर इंटरनेट पर डाल दिया. हैकरों ने इस फिल्म को ‘द मूवी आफ टेरेरिज्म’ बताते हुए मांग थी कि सोनी इसे रिलीज नहीं करे.
यह फिल्म अंतत: 25 दिसंबर को रिलीज हुई. विवादों व धमकियों के चलते इसकी रिलीज का ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया गया. इसे वीडियो आन डिमांड रूप में इंटरनेट पर भी जारी किया गया. हां फिल्म का निर्देशन सेठ रोजन व इवान गोल्डबर्ग ने किया जबकि इसमें रोजन के साथ जेम्स फ्रेंकों ने पत्रकारों की भूमिका निभाई है.
जनवरी 2015 में नेशनल एसोसिएशन आफ थियेटर आवनर्स एनएटीओ ने कहा कि द इंटरव्यू के कारण सोनी को कम से कम तीन करोड़ डालर का नुकसान हुआ.