डॉल म्यूजियम जेएलएन मार्ग पर । भगवानी बाई सेखसरिया गुड़ियाघर के नाम से इस डॉल म्यूजियम की नींव 1974 में रखी गयी। यह सेठ आनंदीलाल पोद्दार मूक बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में है।
यह अपनी तरह का पहला डॉल म्यूजियम है। म्यूजियम में 40 देशों की गुड्डे गुड़िया हैं। इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों की गुड़िया भी यहां प्रदर्शित की गयी हैं। इनके जरिए हम इन देशों व राज्यों की वेशभूषा, पहनावे को समझ सकते हैं। ये हमें सम्बद्ध देश की लोक कलाओं व संस्कृति की भी एक झलक देते हैं।
2014 में इसका जीर्णाेद्धार किया गया और 2015 में यह नये रूप में खोला गया। अभी इस डॉल म्यूजियम में दो हॉल में विभिन्न देशों के गुड्डे गुड़ियों को प्रदर्शित किया गया है।
यह डॉल म्यूजियम सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक खुला रहता है। इसकी टिकट दस रुपये है। विद्यार्थी से पांच रुपये लिए जाते हैं।

नोहर : सेठों का नगर
नोहर का इतिहास (nohar town) को वैदिक काल में सात नदियों से सिंचित सप्त सैन्धव नामक इलाके का हिस्सा था। nohar in rajasthan history and fact. It is know for its historical background and rich culture.